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महासम्मेलन सम्पन्न, पूर्णिमा अध्यक्ष तो राजेंद्र ध्वनिमत से पुनः बने महामन्त्री । कर्त्तव्यनिष्ठा,एकता,संघर्ष, परिवर्तन और अधिकार हीं हमारा मूल मंत्र:- राजेंद्र सिंह

क्रान्तिकारी इस्पात मजदूर संघ (हिन्द मजदूर सभा) का 13वाँ एकदिवसीय द्विवार्षिक महासम्मेलन बोकारो इस्पात नगर के जनवृत 02 कला केन्द्र में लगभग पाँच हजार प्रतिनिधियो (डेलिगेट्स) द्वारा ध्वनिमत से पारित 26 सूत्री प्रस्ताव के साथ सम्पन्न हुआ। महासम्मेलन मे सेल/बोकारो इस्पात संयंत्र तथा सेल के विभिन्न माइंस से आये हुए प्रतिनिधियो ने वर्तमान समस्याओ, संगठन विस्तार एवं अगले दौ वर्ष युनियन की रणनीति पर गहन विचार मंथन किया। हालाँकि युनियन की अध्यक्ष पूर्व विधायक झरिया विधानसभा श्रीमती पूर्णिमा सिंह महासम्मेलन में परिजन के चिकित्सीय कारणो से उपस्थित नही हो सकी।श्रीमती सिंह ने दूरसंचार पर अपनी अनुपस्थिति के लिये खेद व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे बहुत दुख है कि मजदूरो के इस ऐतिहासिक महासम्मेलन का हिस्सा नही बन पायी।महासम्मेलन मे पारित सभी प्रस्ताव पर मेरी सहमति है। महासम्मेलन मे मुख्य अतिथि के रूप मे उपस्थित स्टील,मेटल एंड इंजीनियरिंग वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एस.एम.ई.एफ.आई) के राष्ट्रीय महामन्त्री सह-सदस्य एनजेसीएस श्री संजय बढ़ावकर ने अपने संबोधन मे कहा कि प्रबंधन का विगत चार वर्षो मे मजदूरो के प्रति नकारात्मक रवैया चिन्ताजनक है।आर पार की लड़ाई का वक्त आ चुका है।श्रम कानून मे परिवर्तन और संगठित क्षेत्र मे घटती रोजगार से सरकार एवं प्रबंधन की मंसूबों को भली-भाँति समझा जा सकता है।क्रान्तिकारी इस्पात मजदूर संघ (एचएमएस)मे महिलाओ एवं युवाओ की बढ़ती भागीदारी उत्साहित करने वाला है।वेज रिवीजन का M.O.U.हुए चार वर्ष बीत चुके हैं मगर अब तक समझौता नहीं होना प्रबंधन के द्वारा एनजेसीएस की एकता को तोडने की साजिश है।ठेका मजदूरो के सुरक्षा से समझौता और मिनिमम वेज ना मिलना बेहद चिन्ताजनक है। वहीं पूर्व अध्यक्ष स्व बच्चा सिंह के निधन से आहत एवं श्रीमती पूर्णिमा नीरज सिंह का युनियन अध्यक्ष के रूप में मनोनयन से उत्साहित युनियन के महामन्त्री सह-सदस्य एनजेसीएस श्री राजेंद्र सिंह ने व्यापक रूप से पिछले दौ वर्ष में युनियन की गतिविधियों के साथ-साथ अगले दौ वर्ष की रणनीति पर विचार रखा।श्री सिंह ने कहा कि एक ओर वर्ष 2000 से लगातार युनियन अध्यक्ष के रूप में युनियन के मार्गदर्शक स्व बच्चा सिंह का निधन ना सिर्फ युनियन के लिये अपितु व्यक्तिगत रूप से मेरे लिये एक अपूरणीय क्षति है।वहीं दूसरी ओर श्रीमती पूर्णिमा नीरज सिंह को अध्यक्ष के रूप मे पाकर बेहद उत्साहित हैं। श्री सिंह ने कहा कि वैश्वीकरण, निजीकरण और सरकार की मुनाफा नीति का सबसे अधिक आघात सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानो पर हुआ है।100% तक F.D.I. कर परोक्ष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम का निजीकरण किया जा रहा है।मगर सेल में एनजेसीएस के कड़े तेवर और मजदूर एकता के कारण सरकार की निजीकरण की नीति कामयाब नहीं हो पायी है।परन्तु ठेकेदारी और आउटसोर्सिंग की नीति जोरो पर है।श्रम लागत में कटौती कर मुनाफा का रास्ता ढुँढा जा रहा है जबकि लागत मूल्य में सिर्फ 12% हीं श्रम लागत है,बाकी 88% पूँजी पर प्रबंधन का नियंत्रण होता है,फिर भी कटौती सिर्फ श्रम मूल्य में,प्रबंधन का कैसा प्रबंध है? मनमानी का आलम ऐसा है कि वेज रिवीजन पर वर्ष 2021 का M.O.U. मुख्य श्रमायुक्त के दिशानिर्देश के बावजूद समझौते की बाट जोह रहा है।रिकॉर्ड उत्पादन के बाद भी मजदूर खाली हाथ हैं। ठेका मजदूरो की हालत तो और भी दयनीय है।झारखंड सरकार के नियमावली में कारखाना के मजदूरो के लिये न्युनतम मजदूरी का कोई उल्लेख नहीं है,भवन निर्माण एवं बीड़ी पत्ता की मजदूरी पर काम लिया जा रहा है,सेल प्रबंधन A.W.A के जरिये क्षतिपूर्ति का दंभ भरती तो है मगर A.W.A.की राशि को भविष्य निधि अंशदान से परे रखी है।A.W.A और न्युनतम मजदूरी मे हुई बढ़ोतरी के कारण कुशल मजदूर ई.एस.आई.सी. से वंचित हैं। महारत्ना के मजदूर ईलाज से महरूम हैं। मेडिकल चेकअप पर इनकी नीति खुद इनके समझ से परे है।चार से पाँच माह का बैक लाॅग है,ना नीति ना नियत।सुरक्षा और प्रदुषण नियंत्रण पर केवल कागजी खानापूर्ति लीपापोती हो रही है। विगत दौ वर्षो की सफलताओं का जिक्र करते हुए श्री सिंह ने कहा कि इस कालखंड में हमने कई सफलताएँ हासिल की है।मिनिमम वेज से वंचित कोक ओवन मे हमने ना सिर्फ मिनिमम वेज और जाॅब सिक्युरिटी हासिल किया बल्कि 8% इन्सेंटिव, वर्ष में पाँच छुट्टी, समयबद्ध ग्रेड प्रमोशन, 3 घंटे रिलीफ…